गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु दर्शन का विशेष महत्व होता है:-श्री जीयर स्वामी जी महाराज

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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– गुरु पूर्णिमा के मौके पर श्री जियर स्वामी जी महाराज के दर्शन करने हेतु बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश आदि जगहों से काफी संख्या में लोगों ने आकर दर्शन किया। सुबह से ही लोगों का आने जाने का सिलसिला चालू हो गया था। मिडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने बताया की यज्ञ समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र चौबे के नेतृत्व में प्रिंस चौबे विनीत शुक्ला पंकज शुक्ला हर्षित शुक्ला सौरभ आनंद शुक्ला शिवम चौबे सुमित चौबे सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता प्रसाद की व्यवस्था में लगे रहे। बीते रात्रि तक प्रसाद खिलाने का सिलसिला चलता रहा।स्वामी जी महाराज ने प्रवचन के दौरान गुरु शिष्य परंपरा को बताते हुए उन्होंने कहा कि द्वापर त्रेता आदि काल से गुरु शिष्य की परंपरा चली आ रही है। जिन्होंने भी गुरु के बताए मार्ग पर चलना आरंभ किया उनका जीवन धन्य हो गया। आम जीवन में भी लोगों को इस बात से शिक्षा लेनी चाहिए कि गुरु के बताए हुए मार्गो पर चलने का प्रयास करना चाहिए।गुरु के मार्ग पर चलना कठिन हो सकता है लेकिन अंत में इसका फल सुखदायक होता है। शिष्य का यह दायित्व बनता है कि गुरु के मान सम्मान को आगे बढ़ाएं।

श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि मंत्र संत एवं भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसी मर्यादा का पालन कुंती ने नहीं किया था। जिसके चलते उनको  विवाह से पहले पुत्र को प्राप्त करना पड़ा। कुंती ने मर्यादा का पालन नहीं किया और मंत्र की परीक्षा लेनी शुरू कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ की कुंवारी अवस्था में हीं उसे कर्ण के रूप में पुत्र को प्राप्त करना पड़ा।अतः किसी भी व्यक्ति को मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।किसी भी परिस्थिति में मंत्र की संत की तथा भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।

हर व्यक्ति को मर्यादा के अंतर्गत अपने जीवन को जीना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। विषम परिस्थिति में भी मर्यादा का पालन करते रहना चाहिए। क्योंकि मर्यादा ही पुरुष की शोभा है।मनुष्य की शोभा है संसार की शोभा है राष्ट्र की शोभा है कुल की शोभा है इस जगत की शोभा है।बिना मर्यादा का मनुष्य जानवर से भी गया गुजरा है।जिस प्रकार जल विहीन नदी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। उसी प्रकार मर्यादा के बिना मनुष्य का भी कोई अस्तित्व नहीं है। जो विषम परिस्थितियों में भी मर्यादा का पालन करते हैं धर्म का पालन करते हैं माता-पिता का कद्र करते हैं स्त्री का सम्मान करते हैं बुजुर्गों का सम्मान करते हैं उन पर लक्ष्मी नारायण भगवान की कृपा बनी रहती है। और उनका परिवार विकास करता है। कहा कि सबको आपस में प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन जीना चाहिए भरत के चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए। भाई भरत के चरित्र का पूजा किया जाए और एक भाई से बेईमानी किया जाए यह उचित नहीं है। जिस प्रकार त्रेता द्वापर में एक भाई दूसरे भाई के लिए त्याग की भावना रखते थे।उसको जीवन में उतारना चाहिए। और अपने परिवार के लिए अपने भाई के लिए अपने समाज के लिए मन में त्याग की भावना रखनी चाहिए। स्वामी जी महाराज ने कहा कि एक भाई से बेईमानी कर कबूतर को दाना खिलाने से कोई फायदा नहीं हो सकता।

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