कोलकाता: पश्चिम बंगाल की एक अदालत ने साइबर क्राइम के मामले में शुक्रवार को नौ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषियों में एक महिला भी शामिल है। यह फैसला नादिया जिले की कल्याणी अदालत ने सुनाया है। घटना के आठ महीने के भीतर पूरी हुई सुनवाई के बाद, अदालत ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
दोषियों की पहचान मोहम्मद इम्तियाज अंसारी, शाहिद अली शेख, शाहरुख रफीक शेख, जतिन अनुप लाडवाल, रोहित सिंह, रूपेश यादव, साहिल सिंह, पठान सुमैया बानू, पठान सुमैया बानू और फल्दू अशोक के रूप में की गई है। दोषियों में से चार महाराष्ट्र से, तीन हरियाणा से और दो गुजरात से हैं।
पीड़ित रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक ने 6 नवंबर 2024 को शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें सरकारी अधिकारी बनकर धमकाया और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जाल में फंसाकर उनसे विभिन्न बैंक खातों के जरिये करीब एक करोड़ रुपये लूट लिए गये थे। पुलिस ने एक माह तक चले अभियान के तहत आरोपियों को विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार किया। गिरोह अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जिसका सरगना संभवत: दक्षिण-पूर्व एशिया के किसी देश में छिपा है।
जांच में सामने आया कि यह गिरोह देशभर में फैला हुआ था और अब तक करीब 108 लोगों को धोखा देकर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुका है। इन पर देश के अन्य राज्यों में भी केस दर्ज होने की संभावना है। इन ठगों का तरीका बेहद शातिर था. ये खुद को सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ित को फोन करते थे और उस पर फर्जी डिजिटल सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी का डर दिखाते थे। भयभीत लोग उनकी बातों में आकर बड़ी रकम उनके बताए खातों में ट्रांसफर कर देते थे। विशेष लोक अभियोजक बिवास चटर्जी ने अदालत में इसे एक तरह का “आर्थिक आतंकवाद” करार दिया और बताया कि इन अपराधियों ने रिटायर्ड प्रोफेसर और राज्य सरकार के पूर्व अभियंता की पूरी जीवनभर की कमाई लूट ली। बिवास चटर्जी ने कहा कि देश में किसी डिजिटल अरेस्ट मामले में यह पहली सजा है।
इस केस में चार राज्यों से 29 गवाहों की गवाही और 2600 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी। साथ ही कई बैंकों के शाखा प्रबंधकों और पुलिस अधिकारियों ने अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत किए। CID के अनुसार, सैकड़ों बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, सिम और मोबाइल जब्त किए गए। कॉल डिटेल और डिजिटल फॉरेंसिक से इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ।