खैरागढ़: छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के सर्रागोंदी गांव से एक भावुक कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यह वीडियो न केवल प्रकृति के प्रति इंसानी स्नेह को दर्शाता है, बल्कि गांव के लोगों में पेड़ों और हरियाली के महत्व को भी उजागर करता है।
ग्रामीणों के अनुसार, यह मामला एक बुजुर्ग महिला से जुड़ा है, जिन्होंने लगभग दो दशक पहले अपने हाथों से एक पीपल का पेड़ लगाया था। महिला रोजाना इस पेड़ को पानी देती, उसकी देखभाल करती और उसकी पूजा भी करती थी। वह इस पेड़ को अपने बेटे की तरह मानती थीं। लेकिन जब किसी ने अचानक इस पीपल को काट दिया, तो महिला भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और पेड़ के ठूंठ से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगीं। यह नजारा देखकर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
ग्रामीणों का कहना है कि यह पीपल केवल महिला का नहीं बल्कि पूरे गांव की आस्था का प्रतीक बन चुका था। हर दिन गांववाले इसकी पूजा-अर्चना करते और इसकी छाया में बैठकर अपने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करते थे।
जानकारी के मुताबिक, खैरागढ़ के निवासी इमरान मेमन ने अपनी खरीदी हुई जमीन के सामने पड़े इस सरकारी भूमि पर स्थित पेड़ को हटवाने का निर्णय लिया। इस काम में उसका साथी प्रकाश कोसरे भी शामिल था, जिन्होंने मशीन से पेड़ काटा और सबूत छिपाने के लिए मशीन को नदी में फेंक दिया।
इस घटना की शिकायत ग्रामीणों ने खैरागढ़ थाना में दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपराध क्रमांक 464/2025 दर्ज किया और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 298 और 3(5) के तहत कार्रवाई शुरू की। आरोपी इमरान मेमन को हिरासत में लिया गया, जबकि गोताखोरों की मदद से मशीन और अन्य सबूतों की तलाश की जा रही है। इस दौरान एक स्कूटी भी जब्त की गई है।
घटना के बाद, बुजुर्ग महिला के स्नेह और श्रद्धा की परंपरा को जीवित रखने के लिए ग्रामीणों ने उसी स्थान पर नया पीपल का पौधा लगाया। गांव के लोग उम्मीद जता रहे हैं कि यह नया पौधा भी आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था और प्रेम का प्रतीक बनेगा।
यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि इंसान और प्रकृति के बीच का रिश्ता केवल भौतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक भी होता है।














