रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को ध्यानाकर्षण के दौरान थैलेसिमिया व गंभीर रक्त विकारों को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और कांग्रेस कोटे के ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बीच तीखी बहस छिड़ गई। स्थिति बिगड़ती देख स्पीकर रबींद्र नाथ महतो को हस्तक्षेप कर सदन को शांत कराना पड़ा।
11 हजार मरीज, लेकिन कोई ठोस नीति नहीं – प्रदीप यादव
ध्यानाकर्षण के दौरान प्रदीप यादव ने राज्य में थैलेसिमिया, सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित बच्चों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा झारखंड में लगभग 11 हजार बच्चे इन बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें हर महीने 1–2 बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। राज्य में अब तक कोई स्पष्ट नीति नहीं बनी है। कई परिवार खून की व्यवस्था के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य भटकने को मजबूर हैं।
उन्होंने छत्तीसगढ़ मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि वहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर लड़कों को 15 लाख और लड़कियों को 18 लाख रुपये तक सहायता मिलती है। यादव ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या सरकार के पास मरीजों का कोई आधिकारिक सर्वे है। क्या थैलेसिमिया मरीजों के लिए नि:शुल्क इलाज की कोई व्यवस्था लागू है। रक्तदाताओं को चिन्हित करने की क्या नीति है। केंद्र और अन्य राज्यों की तरह आर्थिक सहायता झारखंड में क्यों नहीं दी जा रही। क्या मंत्री ने पीड़ित परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा समझने की कोशिश की।
मंत्री का पलटवार : हंसडीहा अस्पताल चोरी मामले का जिक्र
जवाब देने से पहले स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने प्रदीप यादव पर पलटवार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को हंसडीहा अस्पताल में चोरी के मामले में प्रदीप यादव ने सदन को दिग्भ्रमित किया था।
मंत्री ने कहा प्रदीप यादव ने 25 करोड़ रुपये के उपकरण चोरी होने का दावा किया था, जबकि प्रारंभिक जांच में करीब 60 लाख रुपये के सामान चोरी पाए गए। उन्होंने कहा कि इस तरह के भ्रामक आरोप सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं और इन बयानों को कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए।
अपने आधिकारिक जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा राज्य में 11 हजार मरीजों का अनुमान कम है। पड़ोसी राज्यों, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के पास इस तरह के मरीजों का पूर्ण डेटा उपलब्ध है। झारखंड सरकार भी अगले एक महीने के भीतर सभी थैलेसिमिया, सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया मरीजों की सूची तैयार कर लेगी।
उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है।
राज्य के पांच ब्लड बैंकों में ब्लड सेपरेशन यूनिट पहले से कार्यरत हैं और जल्द ही सभी सरकारी ब्लड बैंकों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा, शून्य से 40 वर्ष आयु वर्ग की आबादी की HPLC जांच के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
चाईबासा की घटना का जिक्र : एचआईवी संक्रमण के बाद भरोसे का संकट
मंत्री ने चाईबासा की उस दर्दनाक घटना का भी उल्लेख किया जहां गलत रक्त चढ़ाने से पांच बच्चे एचआईवी पॉजिटिव हो गए थे। प्रभावित परिवारों को दो-दो लाख रुपये की सहायता दी गई। जांच में सामने आया कि एक बच्चे को एक साल में 179 बार रक्त चढ़ाया गया था। 60 अलग-अलग लोगों ने रक्त दिया था। घटना के बाद लोग ब्लड डोनेट करने से हिचकने लगे, जिससे ब्लड की भारी कमी हो गई। उन्होंने बताया कि इसके बाद मुख्यमंत्री समेत कई जिम्मेदार लोगों ने रक्तदान किया और 10 हजार यूनिट ब्लड संग्रहित किया गया।
ब्लड के पैसे वसूलने का आरोप
कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि कई सरकारी अस्पतालों में मरीजों से ब्लड के बदले पैसे लिए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे।
इस पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा, कौन पैसा लिया है? सदन को गुमराह न करें। मंत्री ने दावा किया कि जिस तरह से विपक्ष हर घटना उठाता है, उसका असर उपचार पर पड़ता है और मरीज मर जाते हैं।
हर चीज में नेतागिरी नहीं चलेगी – इरफान अंसारी
मंत्री ने प्रदीप यादव के लगातार सवाल पूछने पर असंतोष जताते हुए कहा, “हर चीज में नेतागिरी नहीं चलेगी… रुकिए, आ रहा हूं भाई।”
विधायक प्रदीप यादव की आपत्ति
प्रदीप यादव ने कहा कि मंत्री उनके सवालों का सही जवाब नहीं दे रहे। उन्होंने सवाल उठाया, इसका उत्तर कहां दिया अध्यक्ष महोदय? आप प्रश्न को आधा छुड़वा देते हैं। विधायक ने यह भी कहा कि अध्यक्ष उन्हें बार-बार रोक रहे हैं, जबकि उनका प्रश्न जनहित से जुड़ा है।
स्पीकर ने बीच-बचाव किया
लगातार बढ़ते विवाद को देखते हुए स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा, आप और मंत्री बैठकर बात कर लीजिए। आगे बढ़ना कोई समाधान नहीं है। आप जो चाहेंगे वैसा जवाब मंत्री नहीं देंगे। स्पीकर ने अंत में दोनों पक्षों को सलाह दी कि वे मंत्री के चैंबर में जाकर पूर्ण समाधान कर लें।
सदन का माहौल रहा गर्म
लगभग पूरे प्रश्नकाल के दौरान मंत्री और विधायक के बीच बहस जारी रही। स्पीकर ने कई बार हस्तक्षेप कर माहौल शांत कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे।












