श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):— दो चार धार्मिक किताब हर घर में होना चाहिए। एक गीता प्रेस की किताब है क्या करें क्या न करें। इसको रखना चाहिए। दुसरा है भवन भाष्कर। इसमे घर के बारे में बताया गया है कि कहां खिड़की होना चाहिए, कहां टीवी, बल्ब होना चाहिए। कहां नल होना चाहिए। तीसरा भागवत् महापुराण रखना चाहिए। साक्षात् भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप हैं श्रीमद्भागवत महापुराण। हमेशा पढना चाहिए वह घर देवालय हो जाएगा।
बड़े महापुरूषों का लक्ष्य कहीं गलत नही होता।
बड़े महापुरूषों का लक्ष्य कहीं गलत नही होता है। उनके अनुयायियों द्वारा तोड़ मरोड़कर ऐसे शब्दों में परोस दिया जाता है। जिससे समाज के लोग अस्त व्यस्त हो जाते हैं।
धर्म एक ही है दर्शन अलग अलग हो सकते हैं।
धर्म एक ही है। दर्शन अलग अलग हो सकता है। धर्म एक ही है वह है सनातन धर्म, वैदिक धर्म। सनातन धर्म का अस्तित्व पहले भी था। आज भी है। आगे भी रहेगा। सनातन धर्म हमारे तन में, मन में,व्यवहार में, वाणी में समाया हुआ है। यही है सनातन धर्म। जैसे एक बेइमान, हिंसा करने वाला व्यक्ति को भी लगता है कि हमारे अगली पीढ़ी द्वारा बेइमानी, हिंसा न किया जाए। यही तो है सनातन धर्म।
सबसे बडा विपत्ति वह है जिसमें हम परमात्मा को भूल जाएं।
विपत्ति को विपत्ति नही, संपत्ति को संपत्ति नही समझना चाहिए। हमारे पास जो विपत्ति आता है तो महापुरूष लोग यह मानते हैं कि जो मैने किया था उसका मार्जन हो गया। ऐश्वर्य इत्यादि आया तो यह मानते हैं कि सुकृत कर्म कम हो गया ऐसा मानते हैं। सबसे बडा विपत्ति वह है जिसमें हम परमात्मा को भूल जाएं। उनकी संस्कृति, संदेश को भूल जाएं। जिस विपत्ति में हमारे घर में,परिवार में रहन-सहन, उठन-बैठन, बोल चाल, खान पान, सब जहां बिगड़ जाए तो समझना चाहिए सबसे बड़ा विपत्ति यहीं है। यह विपत्ति का समाधान एक मात्र विनाश है। सर्वनाश के अलावा कोई दूसरा उपाय नही है। जहां भगवान नारायण की स्मृति हो जाय। घर परिवार की स्थिति थोड़ी दयनीय हो जाए। जिसने संकल्प ले लिया कि चोरी, बेईमानी, अनीति, अन्याय , कुकर्म, अधर्म नही करूंगा सबसे बड़ा श्रेष्ठ कर्म वह है। एक दिन वह परिवार ऊंचाई पर चढ़ेगा।