संभल: संभल जिले में स्थित अमरपति खेड़ा इलाके में 300 से 400 साल पुराने सिक्के मिले हैं। साथ ही कुछ पत्थर की शिलाएं और मिट्टी के बर्तन भी बरामद किए गए हैं। एसडीएम वंदना मिश्रा और एएसआई की टीम ने गुरुवार को प्राचीन धरोहरों का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान टीम को जमीन के अंदर दबे एक मिट्टी की हांडी में बेशकीमती सोने के सिक्के मिले। इन सिक्कों में कुछ ब्रिटिश काल के हैं, जबकि कुछ उससे भी पुराने हैं। एक सिक्के पर राम, सीता और लक्ष्मण की आकृती भी उकेरी हुई थी।
एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि अलीपुर खुर्द गांव में एक पुराना आस्था स्थल है, जिसे 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है। यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यहां से मिले मृदभांड और सिक्के भी ऐतिहासिक महत्व के हैं। उन्होंने बताया कि एक सिक्के पर राम, सीता और लक्ष्मण की आकृति के साथ-साथ कई अन्य सिक्कों पर विभिन्न आकृतियाँ भी उकेरी गई थीं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने बताया कि इस स्थल पर पहले एक समाधि थी, जो सोत नदी के किनारे स्थित थी। नदी के पानी के प्रभाव से जब मिट्टी हटने लगी, तो वहां कुछ कंकाल, कमंडल और एक शिला भी मिली। ये सभी प्राचीन वस्तुएं अब संरक्षित की जा रही हैं। इन ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां इनका महत्व समझ सकें।
दरअसल, संभल जिले को तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। पिछले कई महीनों से संभल में खुदाई का काम जारी है। सदियों पुरानी बावड़ी और मंदिर मिलने के बाद अब खजाना हाथ लगा है। संभल में एतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण ASI की टीम ने संभल के अल्लीपुर के अमरपति खेड़ा गांव का निरीक्षण किया था। यह स्थल 1920 से ASI के संरक्षण में हैं। एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा ने बताया कि संरक्षित स्थल पर एएसआई की टीम गई थी। उन्होंने उस स्थल को अमरपति खेड़ा के नाम से चिन्हित किया है। अमरपति खेड़ा पूर्व से सन 1920 से एएसआई संरक्षित स्थल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि वहां पृथ्वीराज चौहान के समकालीन गुरु अमर की समाधि मिली थी। अब वहीं से 300 से 400 साल पुराने सिक्के मिले हैं।