हजारीबाग के दोनों दिगंबर जैन मंदिरों में गन्ने का रस वितरित कर मनाया गया आहार दान दिवस
हजारीबाग :- अक्षय तृतीया (अखा तीज) के पावन अवसर पर हजारीबाग नगर क्षेत्र के दोनों प्रमुख दिगंबर जैन मंदिर – बड़ा बाजार और बॉडम बाजार में प्रातः काल से ही धार्मिक वातावरण श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण रहा। श्रद्धालुओं ने शांतिधारा, अभिषेक एवं विशेष पूजा-अर्चना कर प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) के प्रथम आहार दान दिवस को श्रद्धापूर्वक मनाया। जैन परंपरा के अनुसार,भगवान ऋषभदेव ने दीक्षा लेने के पश्चात छह माह तक उपवास किया और फिर नियमपूर्वक आहार की प्रतीक्षा करते हुए नगर-नगर विचरण करते रहे। वे केवल शुद्ध भावना से और विधिपूर्वक दिए गए

आहार को ही स्वीकार करने के लिए तत्पर थे। अंततः तेरहवें मास के अंत में, अक्षय तृतीया के दिन,हस्तिनापुर के राजा सुमित्र के पुत्र श्रेयांस कुमार को अपने पूर्व जन्म की स्मृति जाग्रत हुई, जिसके प्रभाव से उन्हें यह ज्ञान हुआ कि मुनिराज को किस विधि से आहार दिया जाता है। उन्होंने नियमपूर्वक गन्ने का रस (इक्षुरस) अर्पित किया,
जिसे भगवान ऋषभदेव ने स्वीकार किया। यही ऐतिहासिक घटना जैन इतिहास में प्रथम आहार दान के रूप में प्रसिद्ध हुई, जिसे आज आहार दान दिवस के रूप में मनाया जाता है।आज इस परंपरा को जीवंत करते हुए, हजारीबाग के दोनों मंदिरों में गन्ने का रस भक्तों के बीच वितरित किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस रस का पान कर भगवान ऋषभदेव के प्रथम आहार ग्रहण की स्मृति को आत्मसात किया। समाज के कार्यकारिणी सदस्य विजय लुहाड़िया ने कहा की दोनों मंदिरों में दिनभर भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा।राजेश लुहाड़िया ने बताया कि
