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पोस्टमार्टम के बाद चिता पर जिंदा हो गया मृत शख्स, ढाई घंटे तक डीप फ्रीजर में था, 3 डॉक्टरों पर गिरी गाज

On: November 22, 2024 5:07 AM
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झारखंड वार्ता न्यूज

राजस्थान :- झुंझुनू जिला मुख्यालय के बीडीके अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा एक जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर उसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसके वापस जिंदा होने का मामला सामने आया है. 3 डॉक्टरों पर गाज गिर गई है. चिकित्सा विभाग ने अस्पताल की चिकित्सकों की घोर लापरवाही मानते हुए देर रात को बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर संदीप पचार, चिकित्सा अधिकारी मेडिसिन डॉ. योगेश जाखड़,और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया है. निलंबन के बाद डॉ. पंचार का मुख्यालय सीएमएचओ जैसलमेर, डॉ. जाखड़ का सीएमएचओ बाड़मेर और डॉ. मील का मुख्यालय सीएमएचओ जालोर रहेगा.

विभाग ने जारी किए ये आदेश

चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त शासन सचिव निशा मीणा ने आदेश जारी कर बताया कि राजकीय बीडीके हॉस्पिटल, झुंझुनू की इमरजेंसी यूनिट में एक जीवित बच्चे को मृत घोषित करने की घोर लापरवाही बरतने के कारण जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है. आदेश के मुताबिक जांच विचाराधीन रखते हुए राजस्थान सिविल सेवा नियम-1958 के नियम-13 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चिकित्सकों को तुरंत प्रभाव से निलंबित किया गया है.

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, झुंझुनूं के बागड़ कस्बे में मां सेवा संस्थान लावारिस, दिव्यांग और मेंटली रिटायर लोगों की सेवा करने का काम करती हैं. गुरुवार सुबह यहां से बेहोशी की हालत में लावारिस रोहिताश को बीडीके अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था, जिसको डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था. इमरजेंसी में डॉक्टर के मृत घोषित करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में शिप्ट कर दिया गया और बॉडी को डीप फ्रिजर में रख दिया गया.

रोहिताश को मृत मानकर दो घंटे तक बॉडी को डीप फ्रिजर में रखा. उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए बॉडी भेज दी गई. जब चिता पर अग्नि देने का समय आया तो शव वक्त हरकत करने लगा. इसके बाद वहां मौजूद लोग आनन-फानन में रोहिताश को बीडीके अस्पताल की एमरजेंसी लाए, जहां पर इलाज के लिए आईसीयू में भर्ती किया गया.

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

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