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ढाका: आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन थमने का नाम नही ले रहा है। शुक्रवार को पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे, साथ ही राजधानी ढाका में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बीच, बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी छात्रों ने एक जेल में धावा बोल दिया और आग लगा दी। जिससे वहां से सैकड़ों कैदी फरार हो गए। हिंसक प्रदर्शनों के बीच इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

विरोध प्रदर्शन गुरुवार को ज्यादा ही आक्रामक हो गया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकारी टीवी बीटीवी के हेडक्वार्टर में आग लगा दी। इससे पहले ढाका के पास रामपुरा में एक पुलिस चौकी को भी प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी थी। इसके अलावा कई सरकारी इमारतों को प्रदर्शनकारियों ने फूंक दिया है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई में अब तक कम से कम 39 लोगों की मौत हो चुकी है और 2500 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

प्रदर्शनकारियों की मौतों को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सही और न्यायपूर्ण ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए ज्यूडिशियल इन्क्वायरी का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग देश में अराजकता फैलान के लिए दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रदर्शन का कारण

दरअसल, यहां के छात्र सरकारी नौकरियों में कोटा और बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। करीब 17 करोड़ की आबादी वाले इस देश में लगभग 3.2 करोड़ युवा बिना नौकरी या शिक्षा के हैं। छात्र सरकार से सरकारी नौकरियों में फ्रीडम फाइटर्स के परिवारों को मिलने वाले 30 प्रतिशत आरक्षण कोटे को हटाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिस्टम भेदभाव से भरा हुआ है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों का फेवर करता है। वह इसकी जगह मेरिट सिस्टम मांग रहे हैं।