रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के सिरमटोली स्थित फ्लाईओवर से सरना स्थल के प्रभावित होने और रैंप निर्माण को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरना समिति और आदिवासी नेता गीताश्री उरांव द्वारा दायर याचिकाएं राजनीति से प्रेरित प्रतीत होती हैं और इनमें कोई ठोस आधार नहीं है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनाया।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता और उनके सहयोगी अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट को बताया कि सिरमटोली फ्लाईओवर का निर्माण कार्य वर्ष 2022 में शुरू हुआ था। उस समय किसी भी संगठन या व्यक्ति ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
सरकार ने यह भी कहा कि परियोजना पर कई करोड़ रुपए का खर्च हुआ है, जो जनता के टैक्स से लगाया गया है। ऐसे में वर्षों बाद राजनीतिक उद्देश्य से आपत्तियां दर्ज कराना न्यायोचित नहीं है।
सरना स्थल को कोई नुकसान नहीं
सरकार ने कोर्ट को बताया कि फ्लाईओवर निर्माण से सरना स्थल को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंची है। इसके विपरीत, इस फ्लाईओवर ने एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन आवागमन करने वाले हजारों लोगों को रोज राहत प्रदान की है।
कोर्ट ने याचिकाएं की खारिज
सरकार का पक्ष सुनने और रिकॉर्ड का परीक्षण करने के बाद हाईकोर्ट ने दोनों जनहित याचिकाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि यह मामला वास्तविक जनहित से अधिक राजनीतिक उद्देश्य से उठाया गया विवाद है।
इसके साथ ही सिरमटोली फ्लाईओवर से जुड़ा रैंप विवाद भी समाप्त हो गया है और परियोजना को लेकर उठे सभी सवालों पर न्यायालय ने पूर्ण विराम लगा दिया है।










