अहमदाबाद: गुजरात एटीएस (Antiterrorism Squad) ने रविवार सुबह चलाये एक अभियान के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया है; पूछताछ के दौरान इन आरोपियों से कई बड़े खुलासे हुए हैं। एटीएस के डीएसपी शंकर चौधरी ने बताया कि गिरफ्तार आतंकियों ने कई अहम स्थानों की रेकी की थी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के लखनऊ हेडक्वार्टर को भी निशाना बनाने की योजना में शामिल बताया जा रहा है।
गिरफ्तारी का सिलसिला और जब्त सामान
एटीएस को 7 नवंबर की सुबह सूचना मिली कि हैदराबाद का एक आतंकवादी हथियार लेने अहमदाबाद आया है। सूचना के बाद एटीएस की टीम ने अडालज टोल प्लाजा के पास कार्रवाई कर हैदराबाद के आरोपी डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया। डॉ. अहमद की गाड़ी से तीन विदेशी पिस्टल और 30 कारतूस जब्त किए गए।
हथियार देने के आरोप में उत्तर प्रदेश के सुहैल और आजाद सुलेमान, को गुजरात के पालनपुर से गिरफ्तार किया गया। तीनों फिलहाल एटीएस की हिरासत में हैं और उनसे लगातार पूछताछ जारी है।
पूछताछ में क्या-क्या सामने आया
गिरफ्तार आतंकियों ने स्वीकार किया है कि वे अहमदाबाद के नरोदा इलाके और दिल्ली के आजाद मैदान के आसपास की जगहों की रेकी कर वहां की तस्वीरें और वीडियो बना रहे थे।
पूछताछ में पता चला कि डॉ. मोहिउद्दीन ढाई महीने पहले भी अहमदाबाद आया था और एक पैकेट लेकर लौटा था, उस पैकेट में दिए गए पैसे किसने दिए, इसकी खोज एटीएस कर रही है।
जांच एजेंसी के मुताबिक, सुहैल और आजाद सुलेमान को राजस्थान के हनुमानगढ़ से हथियार लेकर गुजरात के कलोल पहुंचने का आदेश दिया गया था। हनुमानगढ़ पाकिस्तानी सीमा से जुड़ा जिला है; एटीएस का अंदेशा है कि सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार भेजे गए होने की संभावना है। इस पहलू की भी जांच जारी है।
राइसिन नामक जहरीला केमिकल और नरसंहार की योजना
एटीएस ने पूछताछ के दौरान यह भी महसूस किया है कि डॉ. मोहिउद्दीन और उसके साथियों की टीम “राइसिन” नामक जहरीले रसायन को तैयार कर रही थी। राइसिन साइनाइड से भी अधिक घातक माना जाता है। आरोपी इस केमिकल को पाउडर के रूप में खाने-पीने की चीजों में और तरल रूप में पानी में मिलाकर बड़े स्तर पर जन हत्या का प्रयास करने की योजनाएँ बना रहे थे। एटीएस ने कहा है कि यह सबसे चिंताजनक और गंभीर खुलासा है और इस मामले को प्राथमिकता पर रखते हुए जांच चलाई जा रही है।
सोशल मीडिया, हुक्म और कमांड
तीनों आरोपियों ने कहा कि वे सोशल मीडिया के जरिए जुड़े थे और उनके “आका” (कमांडर) द्वारा टुकड़ों में निर्देश दिए जाते थे।
एटीएस ने बताया कि इन कर्मचारियों का संबंध इस्लामिक स्टेट के एक शाखा समूह- इस्लामिक स्टेट (खुरासान प्रांत) से जोड़ा जा रहा है। इस संगठन का नेतृत्व अफगानिस्तान में बैठा बताया जा रहा है और उसके एक संदिग्ध कमांडर ‘अबू खदीजा’ के नाम का उल्लेख हुआ है। एजेंसी का कहना है कि इस संगठन के सदस्य एशिया के कई हिस्सों में सक्रिय रहे हैं और पहले भी गुजरात में इसी तरह के संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं।
एटीएस ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल ये बयानों पर जांच चल रही है और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी बिंदुओं की ठोस पुष्टि की जा रही है।
आगे की कार्रवाई और सुरक्षा पर असर
एटीएस ने कहा है कि तीनों आरोपियों से विस्तृत पूछताछ जारी है और जहां-जहां से फ्रॉड, धन के लेन-देन, हथियार आपूर्ति और सीमा-लिंक संबंधी सुराग मिल रहे हैं, उन सबकी पड़ताल की जा रही है। स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ा दिया गया है और अहम इलाकों की सुरक्षा सतर्कता में वृद्धि की गई है, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहां रेकी की गई थी।
एटीएस डीएसपी ने बताया कि मामले की गहन जांच चल रही है और यदि किसी और व्यक्ति या नेटवर्क का पता चलता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आरोपियों द्वारा दिये गए बयानों को क्रॉस-चेक करने के साथ ही डिजिटल फुटप्रिंट, वित्तीय लेन-देन और सीमा पार के संदेहों की भी विस्तृत छानबीन की जा रही है।
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