नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू होने वाले अनुसूचित जाति छात्रों के लिए उच्च स्तरीय छात्रवृत्ति के संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। नए नियमों में न सिर्फ वित्तीय सहायता बढ़ाई गई है, बल्कि संस्थानों की जवाबदेही को भी पहले से अधिक सख्त किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि देश के प्रमुख संस्थानों में SC विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा बिना आर्थिक दबाव के मिल सके।
DBT के जरिए पूरी ट्यूशन फीस, 2 लाख रुपये तक की सीमा
सुधारित मानकों के अनुसार केंद्र सरकार अब निजी संस्थानों में पढ़ने वाले पात्र छात्रों की पूरी ट्यूशन फीस और अन्य अप्रतिदेय शुल्क सीधे DBT के माध्यम से वहन करेगी। सहायता की अधिकतम सीमा ₹2 लाख प्रति वर्ष तय की गई है। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को पहले वर्ष में ₹86,000 और बाद के सभी वर्षों में ₹41,000 वार्षिक शैक्षणिक भत्ता दिया जाएगा।
यह भत्ता आवास, किताबें, स्टेशनरी, लैपटॉप व अन्य शैक्षणिक खर्चों के लिए उपयोग किया जा सकेगा। एक परिवार से अधिकतम दो भाई-बहन पात्र, दूसरी स्कॉलरशिप लेने पर रोक। योजना के तहत छात्र किसी अन्य केंद्रीय या राज्य छात्रवृत्ति योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। साथ ही, एक परिवार के अधिकतम दो बच्चे ही इस स्कॉलरशिप के लिए पात्र होंगे।
चयन के बाद यदि कोई छात्र अपना संस्थान बदलता है, तो उसकी पात्रता स्वतः समाप्त हो जाएगी।
किन छात्रों को मिलेगा लाभ?
यह छात्रवृत्ति केवल उन अनुसूचित जाति छात्रों को दी जाएगी जिनकी परिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये तक है और जिन्हें अधिसूचित उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश मिला हो।
मान्यता प्राप्त संस्थानों में शामिल हैं IIT, IIM, AIIMS, NIT, NLU, NIFT, NID, और देशभर के अन्य स्वीकृत विश्वविद्यालय व महाविद्यालय।
केवल प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र ही आवेदन कर सकेंगे। प्रदर्शन ठीक रहने पर स्कॉलरशिप कोर्स पूरा होने तक नवीनीकृत होती रहेगी।
2024-25 में 4,400 नई सीटें, कुल टारगेट 21,500
मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए 4,400 नई छात्रवृत्ति आवंटन तय किए हैं। योजना की कुल सीमा 2021-22 से 2025-26 की अवधि में 21,500 आवंटन निर्धारित की गई है।
संस्थानों पर सख्त निगरानी की जिम्मेदारी
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों के जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाणपत्र की पूरी तरह से सत्यापन करना होगा। अपनी प्रॉस्पेक्टस तथा वेबसाइट में योजना का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य होगा। छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन की नियमित मॉनिटरिंग करनी होगी। दिशा-निर्देशों का पालन न करने वाले संस्थानों को योजना से डिबार भी किया जा सकता है।
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