लखनऊ: नरभक्षी और सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को शुक्रवार को सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश रोहित सिंह की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। नरभक्षण और इंसानी खोपड़ियों के संग्रह जैसे आरोपों से जुड़े इस केस में कोर्ट ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
साल 2000 यानी 25 साल पहले हुए डबल मर्डर केस में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में कोलंदर और वक्षराज को 4 दिन पहले 19 मई को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, राजा कोलंदर और उसके साथियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव उर्फ गुड्डू का अपहरण किया था। टाटा सूमो गाड़ी समेत दोनों की नृशंस हत्या कर दी गई थी और उनके शव गढ़वा के जंगल में फेंक दिए गए थे, ताकि पहचान ही न हो सके। मनोज और रवि की पुलिस ने खोज शुरू की। दोनों का कहीं पता नहीं लग सका। बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए।
कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के तहत आदेश दिया है कि आरोपियों पर लगाए गए जुर्माने की राशि का 40-40% मृतक मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव के परिजनों को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। शेष 20% राशि राज्य सरकार के व्ययों की पूर्ति में दी जाएगी।
साल 2000 में पहली बार प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में राजा कोलंदर को गिरफ्तार किया गया था। राजा कोलंदर और वक्षराज को इस मामले में 2012 में इलाहाबाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यानी, कोलंदर और वक्षराज को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
राजा कोलंदर जिसका असली नाम राम निरंजन कोल है, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का निवासी है। वह 2000 के दशक की शुरुआत में अपने अपराधों के लिए कुख्यात हुआ। उस पर नरभक्षण, इंसानी खोपड़ियों का संग्रह, और तंत्र-मंत्र जैसे अंधविश्वासों में लिप्त होने के आरोप लगे थे। कहा जाता है कि वह खोपड़ियों का उपयोग तंत्र-मंत्र और भविष्य देखने जैसे कृत्यों के लिए करता था। राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा हत्या की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। मांस खा जाता था, जबकि खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था।