शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– श्री बंशीधर मंदिर के खलिहान प्रांगण में श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित श्री कृष्ण जन्मोत्सव के पावन अवसर पर साथ दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन कथा श्रवण करने वाले महिला व पुरुष भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने कथा के प्रसंग व भजन पर भक्ति में लीन होकर खूब ताली बजाए। मथुरा वृंदावन धाम से आए कथा वाचक व्यास आचार्य योगेश जी महाराज ने कहां के सच्चे मन से भगवान का किए गए ध्यान से ही सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है और सभी पाप नष्ट हो जाते है।

जैसे सूर्य उदय होने पर कोहरा नष्ट हो जाता है उसी प्रकार अंत समय में नारायण नाम से मनुष्य भी समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य जीवन मिला है इससे भजन कीर्तन में लगाओ तो अगला जन्म भी सुधर जाएगा। आचार्य योगेश जी महाराज ने अजामिल व वामन अवतार की कथा सुनाई। कथा श्रोताओं को श्रवण कराते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की शरण में जाने वाले आदम पापियों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। अजामिल कन्याकुब्ज ब्राह्मण स्कूल में पैदा हुआ था और कर्मकांडीय भी था किंतु एक दिन वह गांव से बाजार गया और वहां एक नाचने वाली को देख लिया जो वैश्या थी। बावजूद इसके वह उसे घर ले आया और उसकी कोख से जन्मे बच्चे के साथ रहने लगा और जघ्यन्य अपराध भी करने लगा।

एक दिन संतों का एक काफिला ने अजामिल के घर के सामने डेरा डाल दिया जब रात्रि में अजामिल घर आया और साधुओं को अपने घर के सामने देखा तो बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा अजामिल की आवाज सुनकर पत्नी जो वैश्या थी वहां आ गई और पति को डांटे हुए शांत कर दिया। अगले दिन साधुओं में अजामिल से दक्षिणा मांगी तो वह फिर बौखला गया और साधुओं को करने के लिए दौड़ पड़ा तभी फिर पत्नी रोक लिया इस समय साधु ने कहा कि उन्हें रुपया पैसा नहीं चाहिए इस पर अजामिल ने हां कर दिया तो साधु ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रख ले क्यों की उसे समय पत्नी गर्भवती थी कुछ महीने के बाद जब उसके पुत्र पैदा हुआ तो उसने साधुओं के बताए गए नाम को सार्थक करते हुए उसने पुत्र का नाम नारायण रखा।
