व्यक्ति को ईश्वर द्वारा प्राप्त शरीर और संसाधनों का कभी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए : जियर स्वामी
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– लक्ष्य पवित्र नहीं हो तो वरदान भी शाप बन जाता है। अपने साधन और सामर्थ्य को समाज हित में लगाएं दूसरे के अहित के प्रयोजन से उपर्युक्त सहयोगी साधन भी विपरीत परिणाम देने लगते हैं। नकारात्मक विचार और कुकृत्य से समाज में व्यक्ति को यथोचित सम्मान प्राप्त नहीं होता है। इसलिए नकारात्मक भाव मन में अंकुरित भी नहीं होने दें।
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