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प्राइवेट पार्ट काटा, जननांगों पर बिजली के झटके…कांस्टेबल को अमानवीय यातना देने के मामले में 6 पुलिसकर्मी गिरफ्तार; जानें क्या है पूरा मामला

On: August 21, 2025 12:37 PM
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नई दिल्ली/श्रीनगर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एक पुलिस कांस्टेबल को हिरासत में कथित तौर पर बर्बर यातना देने के मामले में छह पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार पुलिसकर्मियों में एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी), एक निरीक्षक और एक सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि पीड़ित कांस्टेबल को हिरासत के दौरान जिस प्रकार की क्रूर और अमानवीय यातना दी गई, वह अनुच्छेद 21 का गंभीर उल्लंघन है। अदालत ने कहा, “जननांगों को विकृत करना, उन पर काली मिर्च डालना और बिजली के झटके देना—यह सब न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है।”


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को पीड़ित को 50 लाख रुपये मुआवजा देने और सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। साथ ही अदालत ने सीबीआई को एक महीने में आरोपियों की गिरफ्तारी और तीन महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था।

सीबीआई की कार्रवाई

सीबीआई ने 29 जुलाई को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। अब गिरफ्तारी किए गए आरोपियों पर आपराधिक साजिश, हत्या के प्रयास, अवैध हिरासत, खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाने सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

आरोपी पुलिसकर्मियों को अपने हथियार और सरकारी सामान जिला पुलिस लाइन में जमा करने का आदेश दिया गया है। वहीं, एक आरोपी जो विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) के रूप में मानदेय पर कार्यरत था, उसे तुरंत एसपीओ सूची से हटा दिया गया है।

पत्नी की शिकायत पर शुरू हुई थी लड़ाई

मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित कांस्टेबल की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति को मादक पदार्थों के मामले में तलब करने के बाद छह दिनों तक अवैध हिरासत में रखा गया और अमानवीय यातनाएं दी गईं।

शिकायत के अनुसार आरोपी अधिकारियों ने लोहे की छड़ों और लकड़ी के डंडों से पीटा, बिजली के झटके दिए, जननांगों को विकृत किया, यहां तक कि मलाशय में लाल मिर्च तक डाली गई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। अदालत ने बार-बार शिकायतों के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई न होने पर भी नाराजगी जताई।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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