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पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून आधी रात से लागू, दोषियों को 10 साल की सजा, 10 लाख से 10 करोड़ तक दंड

On: June 22, 2024 3:08 AM
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एजेंसी :NET और NEET की परीक्षा में धांधली की बात सामने आने के बाद देश में जमकर बवाल मचा हुआ है। छात्र नीट की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं वहीं विपक्षी राजनीतिक दल भी नीट की परीक्षा रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ऐसे में NTA ने CSIR-UGC-NET की परीक्षा भी स्थगित कर दी है। इसी बीच खबर आ रही है कि पेपर लीक पर अंकुश लगाने के लिए रातों-रात केंद्र सरकार ने देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू कर दिया है। सरकार ने शुक्रवार देर रात को इस कानून को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस कानून को लोक परीक्षा कानून 2024 यानि पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 नाम दिया गया है।ये कानून फरवरी 2024 में संसद से पारित हुआ था। इस कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंजूरी दे चुकी हैं। इस कानून के लागू होने के बाद पेपर लीक के दोषियों को तीन साल से 10 साल तक की सजा और 10 लाख से एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और एनटीए की तरफ से आयोजित सभी परीक्षाएं आएंगी।

NET और NEET की परीक्षा में धांधली की बात सामने आने के बाद देश में जमकर बवाल मचा हुआ है। ऐसे में NTA ने CSIR-UGC-NET की परीक्षा भी स्थगित कर दी है।

NTA का कहना है कि संसाधनों की कमी के चलते ऐसा किया गया है। यह परीक्षा 25 जून से 27 जून के बीच होने वाली थी। अगली तारीख का एलान NTA की आधिकारिक वेबसाइट पर किया जाएगा।

हजारीबाग से पेपर लीक के सुराग

गुजरात और बिहार के बाद अब झारखंड से जुड़े NEET पेपर लीक के तार जुड़ते दिख रहे हैं। पटना में बरामद NEET पेपर के जले बुकलेट हजारीबाग सेंटर से लीक होने की आशंका है। EOU (इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट) ने जले हुए बुकलेट का मिलान करने के लिए NTA से असली प्रश्न पत्र की मांग की है।

गैंग पर एक करोड़ का जुर्माना

अगर कोई व्यक्ति या समूह मिलकर पूरी योजना के साथ पेपर लीक करता है तो 5-10 साल की सजा और कम से कम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई संस्था पेपर लीक में शामिल है तो उसकी संपत्ति नष्ट करने और परीक्षा का पूरा खर्च उसी संस्थान से वसूलने का नियम है। इस कानून के तहत आरोपी को जमानत का प्रावधान भी नहीं है। डीएसपी या असिस्टेंट कमिश्नर से छोटे पद पर काबिज कोई अधिकारी इस कानून के तहत जांच नहीं कर सकता।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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