ख़बर को शेयर करें।

अयोध्या: अयोध्या में सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 70 वर्षीय महंत प्रेमदास महाराज अक्षय तृतीया को श्रीरामजन्मभूमि के दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन करेंगे जो हनुमानगढ़ी के इतिहास में यह पहला अवसर होगा। हनुमान जी ने मुख्य पुजारी के सपने में आकर उन्हें राम मंदिर में राम लला के दर्शन करने का आदेश दिया था। इस बात को ध्यान में रखते हुए निर्वाणी अखाड़े ने परंपरा को तोड़ते हुए उन्हें राम मंदिर का दर्शन करने की अनुमति दी है। हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास 70 साल के हैं। वो अपने जीवन में 52 बीघा क्षेत्र में फैले मंदिर परिसर को छोड़कर कभी बाहर नहीं गए हैं। सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक गद्दीनशीन को जीवन भर मंदिर से बाहर जाने की मनाही होती है।

अयोध्या निवासी प्रज्ज्वल सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘18वीं शताब्दी में मंदिर की स्थापना के साथ शुरू हुई परंपरा इतनी सख्त थी कि गद्दी नशीं को स्थानीय अदालतों में भी पेश होने से रोक दिया जाता था।’’ परंपरा से यह बदलाव महंत प्रेम दास द्वारा राम मंदिर में दर्शन की इच्छा व्यक्त करने के बाद किया गया है। उन्होंने निर्वाणी अखाड़े के पंचों (सदस्यों) को अपनी इच्छा बताई, जिन्होंने सर्वसम्मति से उन्हें यात्रा की अनुमति दे दी।

निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत रामकुमार दास ने कहा, ‘‘आगामी 30 अप्रैल को पड़ने वाली अक्षय तृतीया के दिन महंत प्रेम दास हनुमानगढ़ी से राम मंदिर तक अखाड़े के ‘निशान’ (प्रतीक चिह्न) के साथ एक जुलूस का नेतृत्व करेंगे, जिसमें हाथी, ऊंट और घोड़े भी शामिल होंगे।’’ उन्होंने बताया कि मुख्य पुजारी के साथ नागा साधु, उनके शिष्य, भक्त और स्थानीय व्यापारी भी होंगे। जुलूस सुबह सात बजे सरयू नदी के तट पर अनुष्ठान स्नान के लिए पहुंचेगा और फिर राम मंदिर की ओर बढ़ेगा।