Results Election: जीत के जश्न में दामन पर दाग; काराकाट में उपेंद्र कुशवाहा की हार का कारण पवन सिंह या भाजपा
क्या खुद जान-बूझ कर एनडीए की यह सीट गंवाई गई? इस सवाल का जवाब जानने के लिए पवन सिंह की उम्मीदवारी से जुड़े पूरे प्रकरण को याद करना होगा। पवन सिंह ने आसनसाेल से टिकट मिलने पर तृणमूल के शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ उतरने से मना कर दिया। उसके बाद भोजपुर क्षेत्र से टिकट के लिए प्रयास किया। भाजपा ने आरा और बक्सर की सीट नहीं दी तो काराकाट चले गए। काराकाट में भाजपा के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा पहले से तय थे। फिर भी पवन वहां गए। अंतिम समय तक पवन सिंह टिके रहे तो भाजपा ने उन्हें पार्टी से मुक्त करने की औपचारिकता की। लेकिन, तब तक अपने प्रचार में भाजपाई होने का जितना फायदा उन्हें लेना था- ले चुके थे। हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी कहते हैं कि “उपेंद्र कुशवाहा को हराने नहीं, बल्कि खुद जीतने के आत्मविश्वास में पवन सिंह वहां गए। उन्हें लगा कि दो कुशवाहा की लड़ाई में वह अपनी राजपूत जाति समेत सामान्य वोटरों का साथ हासिल कर लेंगे। लेकिन, यह नहीं हुआ। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा के वोट को ही काटकर जो हासिल करना था, किया। जीत नहीं सके और उपेंद्र कुशवाहा की हार का कारण भी बन गए।”
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