झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने ईस्ट ज़ोन एबिलिम्पिक्स 2024 का किया उद्घाटन,हर संभव सहयोग देने का आश्वासन

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झारखंड में ईस्ट ज़ोन एबिलिंपिक्स 2024 की शुरुआत, 7 पूर्वी राज्यों से दिव्यांगजन विभिन्न व्यावसायिक कौशलों में कर रहे हैं प्रतिस्पर्धा

जमशेदपुर: भारत – 3 अक्टूबर, 2024 – नेशनल एबिलिंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NAAI) द्वारा आयोजित ईस्ट ज़ोन क्षेत्रीय एबिलिंपिक्स 2024 आज जमशेदपुर (झारखंड) के टाटा स्टील टेक्निकल इंस्टिट्यूट, बर्मा माइंस में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता द्वारा किया गया। इस प्रतिष्ठित आयोजन में पूर्वी भारत से आए दिव्यांगजनों ने अपने असाधारण कौशल और प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर श्री कृष्ण कालरा – अध्यक्ष नेशनल एबिलिंपिक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएएआई), श्री जगमित सिंह सिद्धू – आईईएल के सीईओ और टाटा पावर के चीफ ऑपरेशंस, जमशेदपुर, कैप्टन अमिताभ – टाटा स्टील फाउंडेशन के कौशल विकास प्रमुख, श्री बासुदेव हांसदा – प्रमुख ओ एंड एम, टाटा पावर, जोजोबेरा प्लांट, डॉ. जितेंद्र अग्रवाल, नेशनल एबिलिंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NAAI) के महासचिव और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक एवं सीईओ सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे |


एबिलिंपिक्स, जिसे क्षमताओं का ओलंपिक कहा जाता है, दिव्यांगजनों के लिए एक वैश्विक मंच है। इस मंच पर वे अपने व्यावसायिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की अपनी क्षमता दिखाते हैं। इस आयोजन ने रोजगार के अवसरों के बड़े मुद्दे पर भी ध्यान केंद्रित किया। ऐसे कौशल विकास कार्यक्रम आईटी, आतिथ्य, विनिर्माण और रचनात्मक क्षेत्रों सहित विभिन्न उद्योगों में नए अवसर प्रदान करते हैं।


इस कार्यक्रम को टाटा पावर (TPCDT), आईएचसीएल (IHCL), टाटा स्टील फाउंडेशन और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) जैसे प्रमुख भागीदारों का समर्थन प्राप्त है। इस आयोजन ने दिव्यांगजनों को कौशल विकास और समावेशन के माध्यम से सशक्त बनाने की मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। ऐसे प्रयास दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए आवश्यक साधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही, टाटा समूह ने इस आयोजन के दौरान एक ऐतिहासिक न्यूरोडायवर्सिटी इमर्शन समिट की मेज़बानी भी की।


इस अवसर पर झारखंड के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता ने कहा, “ईस्ट ज़ोन क्षेत्रीय एबिलिंपिक्स 2024 में उपस्थित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। यह कार्यक्रम वास्तव में दिव्यांगजनों की असाधारण प्रतिभाओं का उत्सव है। यह मंच न केवल उनके कौशल को प्रदर्शित करता है, बल्कि हमारे समाज में समावेशन और समान अवसरों के महत्व को भी उजागर करता है। झारखंड को इस प्रेरणादायक पहल की मेज़बानी करने पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के निरंतर समर्थन और सहयोग से हम एक ऐसा समावेशी कार्यबल तैयार कर सकते हैं, जहां हर व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, सफल होने का अवसर प्राप्त कर सके।” उन्होंने एक राजनेता से अधिक एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दिव्यांगजनों के हित में अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।


ईस्ट ज़ोन संस्करण को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 405 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें से 200 से अधिक दिव्यांगजनों को प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया। इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पहली बार त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से भी प्रतिभागियों ने भाग लिया।


ईस्ट ज़ोन संस्करण को 405 प्रविष्टियों के साथ जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिनमें से 200 से अधिक दिव्यांगों को प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया। इस आयोजन में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों से और पहली बार त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया।


मुख्य एनजीओ साझेदारों, जैसे दिव्यांग मार्ग दर्शन (जमशेदपुर), गया बुद्धम् शरणम् (गया, बिहार), बिहार एबिलिंपिक्स एसोसिएशन (पटना, बिहार) और सहाय-स्पेशल स्कूल फॉर आईडी (कटक, ओडिशा) ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए प्रतिभागियों को प्रशिक्षित और तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संगठनों ने दिव्यांगजनों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोजगार के बीच की खाई को पाटने का कार्य किया।

नेशनल एबिलिंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NAAI) के महासचिव और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक एवं सीईओ, डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, “भारत की आबादी में 5% से अधिक दिव्यांग हैं, उनके कौशल को बढ़ावा देने से समाज और समाज दोनों पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ सकता है। अर्थव्यवस्था. हम कॉरपोरेट संस्थाओं को विविधता अपनाते हुए देखकर गर्व महसूस करते हैं, और हमारा मिशन एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां सभी की प्रतिभा को समान रूप से महत्व दिया जाए। हम न्यूरोडायवर्सिटी समावेशन में की गई प्रगति को बाधावा देने का प्रयास कर रहे है, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। जबकि माइल्ड औटईसम, सेरेब्रल पाल्सी और डाउन सिंड्रोम के हल्के रूपों वाले बच्चों को आतिथ्य, खुदरा और आईटी जैसे क्षेत्रों में अवसर मिलने लगे हैं, हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल शुरुआत है। मध्यम और गंभीर तंत्रिका विविधता वाले लोगों के लिए, रोजगार योग्यता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। साथ मिलकर, हमें सभी न्यूरोडायवर्स व्यक्तियों और बच्चों के लिए सशक्तिकरण और सार्थक अवसर सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ना जारी रखना चाहिए।

श्री जगमीत सिंह सिद्धू, सीईओ, आईईएल और चीफ ऑपरेशंस, जमशेदपुर ने इस व्यापक आयोजन और वैश्विक मंचों पर पहुंचने और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में भारतीय दिव्यांग प्रतिभाओं को उनके निरंतर समर्थन पर जानकारी साजा की । उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि जीतने के लिए परियापत स्किल अत्यंत जरूरी हैं | इसे ध्यान में रखते हुए, हमने एनएएआई(NAAI) की कौशल प्रतियोगिताओं के लिए हम समर्थन दे रहे हैं।”

भारत ने 2023 में मेट्ज़, फ्रांस में हुए 10वें इंटरनेशनल एबिलिंपिक्स में 13 सदस्यीय छोटी टीम के साथ सात पदक जीतकर इतिहास रचा था। अब एनएएआई जब 2027 में फ़िनलैंड में होने वाले 11वें इंटरनेशनल एबिलिंपिक्स की तैयारी कर रहा है, तो जमशेदपुर में आयोजित ईस्ट ज़ोन क्षेत्रीय एबिलिंपिक्स भारत की इस अंतरराष्ट्रीय पहचान और गर्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

अधिक जानकारी के लिए कृपया www.abilympicsindia.org पर जाएं।

एनएएआई के बारे में

नेशनल एबिलिंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएएआई) की स्थापना 2001 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में की गई थी। यह संगठन दिव्यांगजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिताओं में भारत की भागीदारी को सुगम बनाता है, समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।

झारखंड में ईस्ट ज़ोन एबिलिंपिक्स 2024 की शुरुआत, 7 पूर्वी राज्यों से दिव्यांगजन विभिन्न व्यावसायिक कौशलों में कर रहे हैं प्रतिस्पर्धा

एबिलिपिक्स, जिसे क्षमताओं का ओलंपिक कहा जाता है, दिव्यांगजनों के लिए एक वैश्विक मंच है। इस मंच पर वे अपने व्यावसायिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की अपनी क्षमता दिखाते हैं। इस आयोजन ने रोजगार के अवसरों के बड़े मु‌द्दे पर भी ध्यान केंद्रित किया। ऐसे कौशल विकास कार्यक्रम आईटी, आतिथ्य, विनिर्माण और रचनात्मक क्षेत्रों सहित विभिन्न उ‌द्योगों में नए अवसर प्रदान करते हैं।

इस कार्यक्रम को टाटा पावर (TPCDT), आईएचसीएल (IHCL), टाटा स्टील फाउंडेशन और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPWD) जैसे प्रमुख भागीदारों का समर्थन प्राप्त है। इस आयोजन ने दिव्यांगजनों को कौशल विकास और समावेशन के माध्यम से सशक्त बनाने की मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। ऐसे प्रयास दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए आवश्यक साधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही, टाटा समूह ने इस आयोजन के दौरान एक ऐतिहासिक न्यूरोडायवर्सिटी इमर्शन समिट की मेजबानी भी की।

इस अवसर पर झारखंड के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्जा गुप्ता ने कहा, “ईस्ट जोन क्षेत्रीय एबिलिंपिक्स 2024 में उपस्थित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। यह कार्यक्रम वास्तव में दिव्यांगजनों की असाधारण प्रतिभाओं का उत्सव है। यह मंच न केवल उनके कौशल को प्रदर्शित करता है, बल्कि हमारे समाज में समावेशन और समान अवसरों के महत्व को भी उजागर करता है। झारखंड को इस प्रेरणादायक पहल की मेजबानी करने पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के निरंतर समर्थन और सहयोग से हम एक ऐसा समावेशी कार्यबल तैयार कर सकते हैं, जहां हर व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, सफल होने का अवसर प्राप्त कर सके।” उन्होंने एक राजनेता से अधिक एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दिव्यांगजनों के हित में अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।

ईस्ट जोन संस्करण को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 405 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई, जिनमें से 200 से अधिक दिव्यांगजनों को प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया। इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसेपूर्वी राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पहली बार त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे पूर्वोतर राज्यों से भी प्रतिभागियों ने भाग लिया।

ईस्ट जोन संस्करण को 405 प्रविष्टियों के साथ जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिनमें से 200 से अधिक दिव्यांगों को प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया। इस आयोजन में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों से और पहली बार त्रिपुरा, असम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया।

मुख्य एनजीओ साझेदारों, जैसे दिव्यांग मार्ग दर्शन (जमशेदपुर), गया बुद्धम् शरणम् (गया, बिहार), बिहार एबिलिपिक्स एसोसिएशन (पटना, बिहार) और सहाय-स्पेशल स्कूल फॉर आईडी (कटक, ओडिशा) ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए प्रतिभागियों को प्रशिक्षित और तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संगठनों ने दिव्यांगजनों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोजगार के बीच की खाई को पाटने का कार्य किया।

नेशनल एबिलिपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NAAI) के महासचिव और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक एवं सीईओ, डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने कहा, “भारत की आबादी में 5% से अधिक दिव्यांग हैं, उनके कौशल को बढ़ावा देने से समाज और समाज दोनी पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड सकता है। अर्थव्यवस्था. हम कॉरपोरेट संस्थाओं को विविधता अपनाते हुए देखकर गर्व महसूस करते हैं, और हमारा मिशन एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां सभी की प्रतिभा को समान रूप से महत्व दिया जाए। हम न्यूरोडायवर्सिटी समावेशन में की गई प्रगति को बाधावा देने का प्रयास कर रहे है, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। जबकि माइल्ड औटईसम, सेरेब्रल पाल्सी और डाउन सिंड्रोम के हल्के रूपों वाले बच्चों को आतिथ्य, खुदरा और आईटी जैसे क्षेत्रों में अवसर मिलने लगे हैं, हमें यह समझाना चाहिए कि यह केवल शुरुआत है। मध्यम और गंभीर तंत्रिका विविधता वाले लोगों के लिए, रोजगार योग्यता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। साथ मिलकर, हमें सभी न्यूरोडायवर्स व्यक्तियों और बच्चों के लिए सशक्तिकरण और सार्थक अवसर सुनिश्चित करते हुए आगे बढ़ना जारी रखना चाहिए।

श्री जगमीत सिंह सिद्धू, सीईओ, आईईएल और चीफ ऑपरेशंस, जमशेदपुर ने इस व्यापक आयोजन और वैश्विक मंचर्चा पर पहुंचने और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में भारतीय दिव्यांग प्रतिभाओं को उनके निरंतर समर्थन पर जानकारी साजा की। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि औतने के लिए परियापत स्किल अत्यंत जरूरी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, हमने एनएएआई (NAAI) की कौशल प्रतियोगिताओं के लिए हम समर्थन दे रहे हैं।”

भारत ने 2023 में मेट्ज़, फ्रांस में हुए 10वें इंटरनेशनल एबिलिंपिक्स में 13 सदस्यीय छोटी टीम के साथ सात पदक जीतकर इतिहास रचा था। अब एनएएआई जब 2027 में फिनलैंड में होने वाले 11वें इंटरनेशनल एबिलिपिक्स की तैयारी कर रहा है, तो जमशेदपुर में आयोजित ईस्ट जोन क्षेत्रीय एबिलिपिक्स भारत की इस अंतरराष्ट्रीय पहचान और गर्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

अधिक जानकारी के लिए कृपया www.abilympicsindia.org पर जाएं। एनएएआई के बारे में

नेशनल एबिलिंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएएआई) की स्थापना 2001 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में की गई थी। यह संगठन दिव्यांगजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिताओं में भारत की भागीदारी को सुगम बनाता है, समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।

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