अपने पेट भरने के लिए जीव जंतुओं को हत्या करना महापाप है :- जीयर स्वामी

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पत्नी को मानिए परंतु जिसके कारण पत्नी से संबंध बना है। उस माता पिता को त्यागीए मत

शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा): जो व्यक्ति किसी स्त्री, बहन, शिष्या को वंचना करके, दिग्भ्रमित करके, गलत व्यवहार करता है। वह व्यक्ति मरकर अंध तामिस नामक नरक में जाता है। उसके शरीर को वृक्ष से पटककर यातना दी जाती है। जो व्यक्ति अंहकार या ममतावश प्राणियों से, कुटुम्बियों से अकारण द्रोह करता है। सताता है, हनन करता है उसे मरकर रौरव नरक मिलता है। जो व्यक्ति अपने पेट भरने के लिए जीव जंतुओं की हत्या करता है उसे मरकर कुंभीपाक नर्क मिलता है।

पत्नी से संबध जोड़ने वाले माता-पिता को त्यागीए मत।

जिस माता ने नौ महीने दर्द सहकर, पालन पोषण करके जन्म दिया। जन्म देने के बाद खुद गीले वस्त्रों को पहन कर अपने पुत्र को सुखे वस्त्र में सुलाया। वह पुत्र बडा होकर सबसे पहले माता पिता को हों अलग करता है। पत्नी को मानिए परंतु जिसके कारण पत्नी से संबंध बना है। उस माता पिता को त्यागीए मत। अपमान मत करीए। ऐसे नास्तिक, माता-पिता संत, महात्मा, विद्वान, से जो द्रोह करता है वह मरकर कास सूत्र नरक में जाता है।

सात्विक भोजन में तुलसी पत्र डाल कर भोजन करना चाहिए।

जो ऋषियों के द्वारा बताए गए भोजन है वहीं सात्विक भोजन है। जो निषेध किया गया है वह राक्षसी भोजन है। शास्त्र में बताया गया है कि घर में जो भी सात्विक भोजन बने। उसमें तुलसी पत्र डाल करके ही भोजन करना चाहिए।

सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं इन्हे रोज अर्ध्य देना चाहिए।

शनि का भूगोल खगोल में बड़ा महत्व बताया गया है। शनि केवल अनिष्ट ग्रह ही नही हैं। शनिदेव  यदि प्रसन्न हो जाएं तो रंक भी राजा बन जाता है।  यदि नाराज हो जाएं तो राजा भी रंक हो जाता है। शनिदेव केवल दुख ही नही देते हैं। यदि जो भगवान की भक्ति में, सदाचार में अच्छे व्यवहार, विचार में रहते हैं तो ढाई वर्ष या साढ़ेसात वर्ष क्या सात मिनट में चले जाएंगे। यदि कहीं वह भक्ति, सदाचार, अच्छे दिनचर्या,अच्छे व्यवहार में न रहा  तो साढे सात की बात मत करीए सतर वर्ष में भी नही जाएंगे। चाहे कितना भी कुछ करा लीजिए। इसीलिए हमारा खान-पान, रहन-सहन,उठन-बैठन, बोल चाल सही रखना चाहिए। शनि ब्रह्मचारी हैं।