सिरम टोली फ्लाईओवर: सत्ता पक्ष के कांग्रेसी विधायक रामेश्वर उरांव ने उठाए सवाल,बोले आदिवासियों की भावना आहत
रांची : सिरमटोली फ्लाईओवर को लेकर प्रदेश की विपक्ष को सरकार के खिलाफ हमलावर है ही और अब तो सत्ता पक्ष के ही पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने सवाल उठाकर झारखंड की राजनीति में और गर्माहट ला दी है। उन्होंने प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी के बयान का समर्थन कर दिया है और कहा है कि फ्लाईओवर के निर्माण से सरकार से आदिवासियों की भावना आहत हुई है। जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा है कि ‘नेक इरादा, निभा रहे वादा…’हमारे अग्रणी मार्गदर्शक कार्तिक उरांव जी के नाम से सिरमटोली फ्लाईओवर आज रांची समेत झारखण्ड की जनता को समर्पित हो गया है। जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है और झारखंड का सियासी पारा और चढ़ने की पूरी संभावना है!
ऊरांव ने कहा, “पूर्व की सरकार हो या वर्तमान, दोनों को आदिवासियों की भावना का ख्याल रखना चाहिए था। हमारी आबादी सबसे अधिक है और हमारी एकजुटता ही हमारी ताकत है। फ्लाईओवर के निर्माण से आदिवासी समाज की भावना आहत हुई है, और यह दर्द धीरे-धीरे सभी के दिलों में घर कर जाएगा।”
रामेश्वर ऊरांव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब फ्लाईओवर के उद्घाटन को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि विपक्ष इसे जनभावनाओं के खिलाफ बता रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस प्रतिक्रिया को किस रूप में लेती है।
गौरतलब है कि डॉ. रामेश्वर उरांव का यह बयान हेमंत सोरेन सरकार के लिए काफी असहज करने वाला है.
डॉ. रामेश्वर उरांव कांग्रेस के वरीय नेता हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के साथ गठबंधन में प्रदेश में सरकार चला रही है. गुरुवार को फ्लाईओवर का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विवाद को लेकर कहा था कि कुछ लोग ओछी राजनीति करते हैं. सस्ती लोकप्रियता के लिए आदिवासियों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन यह हमारी सरकार की फितरत नहीं है.
फ्लाईओवर को कार्तिक उरांव सेतु का नाम देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि इसके निर्माण की पृष्ठभूमि में बहुत सारे विवाद हैं लेकिन मैं उसपर नहीं जाना चाहता.
उन्होंने उद्घाटन समारोह में मौजूद जनसमूह से सवाल किया था कि, मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि फ्लाईओवर के निर्माण से रांचीवासी खुश हैं या नहीं.
इस फ्लाईओवर के रैंप को लेकर गहरा विवाद है. आदिवासी संगठनों का आरोप है कि फ्लाईओवर का रैंप सिरमटोली केंद्रीय सरनास्थल के ठीक मुख्य द्वार के सामने गिराया गया है जो हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं का अपमान है. आदिवासी संगठनों की मांग थी कि फ्लाईओवर रैंप को कहीं और बनाया जाये.
हालांकि, प्रशासन ने फ्लाईओवर के रैंप को मुख्य द्वार से हटा दिया लेकिन आदिवासी संगठनों का कहना था कि रैंप की वजह से सरना स्थल की पूरी चहारदीवारी प्रभावित होती है. भविष्य में कभी भी यहां जुलूस या सभा करने में परेशानी होगी.
जो श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं उनको भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर को जहां हेमंत सोरेन सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है. जहां इस फ्लाईओवर को रांची की जनता को हेमंत सोरेन सरकार का तोहफा बताया जा रहा है वहीं सरकार में ही शामिल पार्टी के एक वरीय नेता ने कह दिया है कि फ्लाईओवर का निर्माण आदिवासी भावनाओं के प्रतिकूल है. इससे आदिवासियों की भावनाएं आहत हुई है और भविष्य में नकारात्मक असर डालेगी.
सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप के विरोध में 4 जून को आदिवासी संगठनों ने झारखंड बंद बुलाया था.
रांची सहित झारखंड के सभी जिलों में बंद का मिलाजुला असर दिखा. आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों ने सड़क पर उतरकर बंद का समर्थन किया. कई जिलों में हाईवे तक जाम कर दिए गये. बाजारों में दुकानों को बंद कराया और आवागमन भी रोका गया था.
हालांकि, सरकार ने अगले ही दिन यानी 5 जून को सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का उद्घाटन कर दिया. अब इस पर सियासत शुरू हो गयी है.
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी आरोप लगाया था कि हेमंत सरकार ने जिस आनन-फानन में फ्लाईओवर का उद्घाटन किया है, उससे आदिवासियों की भावना आहत हुई है.
उन्होंने कहा कि कल जिस तरीके से मुख्यमंत्री ने गुपचुप तरीके सरे सिरमटोली फ्लाईओवर का लोकार्पण किया, उससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है. उन्होने कहा कि यह लोकार्पण पर्यावरण दिवस के दिन किया गया लेकिन विडंबना यह रही कि प्रकृति और पर्यावरण के उपासक आदिवासी समाज की भावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सिरमटोली फ्लाईओवर रांची के यातायात को सुगम बनाएगा लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से ही पास में ही स्थित पवित्र सरना स्थल के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की धार्मिक आस्थाओं की अनदेखी कर बिना कोई वैकल्पिक समाधान निकाले इस फ्लाईओवर का उद्घाटन करना आदिवासियों के साथ धोखा है.
विकास जरूरी है लेकिन विकास की दौड़ में आदिवासी समाज की अस्मिता, आस्था और परंपराओं का सम्मान उतना ही जरूरी है.
अब डॉ. रामेश्वर उरांव ने भी बाबूलाल मरांडी के सुर में सुर मिला दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पार्टी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है.
बता दें कि 335.76 करोड़ रुपये की लागत से बने सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का शिलान्यास 19 अगस्त 2022 को किया गया था. 2 साल, 9 महीने और 16 दिन बाद 5 जून 2025 को इसका लोकार्पण किया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हिंदू रीति-रिवाज से पूजा -पाठ करके जनता को सौंप दिया.
2.34 किमी लंबा यह फ्लाईओवर पूर्वी भारत का सबसे बड़ा केबल स्टे ब्रिज है.
रेलवे लाइन के ऊपर से फ्लाईओवर 132 मीटर लंबा है तो वहीं हरमू नदी के ऊपर 94 मीटर. पहले मेकॉन चौक से सिरमटोली जाने के लिए औसतन 40 मिनट लगते थे लेकिन, इस फ्लाईओवर की मदद से यह दूरी महज 3 मिनट रह गयी है.
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